औपपादिक
देव नारकी उत्पाद जन्म संयुक्त हैं इसलिए इन्हें औपपादिक कहते हैं। नारकी जीव पाप से नरक में उत्पन्न होकर और एक मुहूर्तकाल में छह पर्याप्तियों को प्राप्त कर आकस्मिक भय से युक्त होता है। तत्पश्चात् वह नारकी जीव भय से काँपता हुआ बड़े कष्ट से चलने के लिए प्रस्तुत होकर और छत्तीस आयुधों के मध्य में गिर कर वहाँ से उछलता है। देव सुरलोक के भीतर उपपादपुर में महार्घ शय्या पर उत्पन्न होते हैं और उत्पन्न होने पर एक मुहूर्त में ही छह पर्याप्तियों को भी प्राप्त कर लेते हैं।