अनंत धर्मात्मक होने के कारण वस्तु बड़ी जटिल है (देखें अनेकांत-2.4)। उसको जाना जा सकता है, पर कहा नहीं जा सकता। उसे कहने के लिए वस्तु का विश्लेषण करके एक-एक धर्म द्वारा क्रम पूर्वक उसका निरूपण करने के अतिरिक्त अन्य …
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