मोक्षपद की प्राप्ति रूप प्रधान या मुख्य फल की प्राप्ति होना हित है । वह दो प्रकार का हैस्वहित और पर-हित। जैसे दान देने से जो पुण्य का संचय होता है वह स्व-हित है क्योंकि उसका फल स्वयं को प्राप्त …
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