जिन सत्कर्मों की उत्पत्ति बंध से होती है, उन्हें बंध हतसमुपत्तिक कहते हैं । हतसमुपत्तिक कर्म वाले ऐसा कहने पर पूर्व के समस्त अनुभाव सत्व का घात करके और उसे अनन्तगुणा हीन करके स्थित हुई जीव के द्वारा यह अभिप्राय …
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