तीर्थंकर के मुख से निकला बीजपद सूत्र कहलाता है। उस सूत्र के साथ रहता अर्थात् उत्पन्न होता है, अतः गणधर देव में स्थित श्रुतज्ञान सूत्रसम कहा गया है ।
सूत्रोपसंयत के तीन भेद है, सूत्र, अर्थ तदुभय । इन तीनों के लौकिक, वैदिक व सामाजिक ये तीन-तीन भेद है।
तीर्थंकर के मुख से निकला बीजपद सूत्र कहलाता है। उस सूत्र के साथ रहता अर्थात् उत्पन्न होता है, अतः गणधर देव में स्थित श्रुतज्ञान सूत्रसम कहा गया है ।
सूत्रोपसंयत के तीन भेद है, सूत्र, अर्थ तदुभय । इन तीनों के लौकिक, वैदिक व सामाजिक ये तीन-तीन भेद है।
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