1. जो किसी दूसरे के द्वारा स्वयं बाधित न हो और नही किसी दूसरे को बाधा पहुँचाए वह पदार्थ या जीव सूक्ष्म हैं। इनकी गति का जल थल आदि आधारों के द्वारा प्रतिघात नहीं होता। 2. जो इन्द्रियों के ग्रहण …
ऋजुसूत्र एक समय अवस्थायी पर्याय को ग्रहण करता है। अर्थ पर्याय का विषय करने वाला सूक्ष्म ऋजुसूत्र नय है। वह प्रत्येक क्षण में परिणमन करने वाले समस्त पदार्थों को विषय करता हुआ अपने विषय से सादृश्य सामान्य और तद्भाव रूप …
संज्वलन कषाय के स्पर्धकों को बादर कृष्टि है। उनमें से प्रत्येक कृष्टि रूप स्थूल खण्ड का अनंत गुणा घटनानुभाव करि सूक्ष्म खण्ड करि है। जो सूक्ष्म कृष्टिकरण है, अनिवृत्तिकरण का अंत समय का अनन्तर सूक्ष्म कृष्टि को भेदता हुआ सूक्ष्मसाम्पराय …
जिस कर्म के उदय से अन्य जीवों के अनुग्रह या उपघात के अयोग्य सूक्ष्म शरीर की प्राप्ति हो वह सूक्ष्म नामकर्म है सूक्ष्म नामकर्म का उदय दूसरे मूर्त पदार्थों से आघात नहीं करने योग्य शरीर को उत्पन्न करता है जैसे …
सम्पराय का अर्थ है कषाय। जिस चारित्र में कषाय अतिसूक्ष्म हो वह सूक्ष्म साम्पराय चारित्र कहलाता है अथवा मोहकर्म का उपशमन या क्षपण करते हुए सूक्ष्मलोक का वेदन करना सूक्ष्मसाम्पराय चारित्र है और उसका धारक सूक्ष्मसाम्पराय संयत कहलाता है। सूक्ष्म …