जिस कर्म के उदय से अन्यजन प्रीतिकर अवस्था प्राप्त होती है वह सुभग- नामकर्म है अथवा स्त्री और पुरुषों के सौभाग्य को उत्पन्न करने वाला सुभग – नामकर्म है। जिसके उदय से रूपादि गुणों से युक्त होकर भी अप्रीतिकर अवस्था …
Not a member yet? Register now
Are you a member? Login now