आगम, सिद्धान्त और प्रवचन एकार्थक है। अपौरुषेय होने से सिद्धान्त अनादि है। शास्त्र के अर्थ की सांस्थिति किये गए अर्थ को सिद्धान्त कहते हैं । उक्त सिद्धान्त चार प्रकार का हैं। सर्वतन्त्र सिद्धान्त, प्रतितन्त्र सिद्धान्त, अधिकरण सिद्धान्त, अभ्युपगम सिद्धान्त । …
सिद्धान्त-सार – भट्टारक-सकलकीर्ति nikkyjain@gmail.com Date : 17-Nov-2022 Index गाथा / सूत्र विषय !! श्रीसर्वज्ञवीतरागाय नम: !! श्रीमद्-भट्टारक-सकलकीर्ति विरचित श्री सिद्धांत-सार-दीपक मूल संस्कृत गाथा आभार : 🏠 !! नम: श्रीसर्वज्ञवीतरागाय !! ओंकारं बिन्दुसंयुक्तं नित्यं ध्यायन्ति योगिनः कामदं मोक्षदं चैव ॐकाराय नमो …
यह व्रत जघन्य मध्यम और के भेद से तीन प्रकार का है। इसमें पहले उत्कृष्ट एक उपवास एक पारणा, दो उपवास एक पारणा, तीन उपवास एक पारणा, चार उपवास एक पारणा, पांच उपवास एक पारणा, फिर चार उपवास एक पारणा, …