साध्य के साथ तुल्य धर्मता से साध्य का धर्म जिसमें हो ऐसे दृष्टान्त को साधर्म्य उदाहरण कहते हैं । शब्द अनित्य है क्योंकि उत्पत्ति धर्म वाला होता है, वह – वह अनित्य होता है। जैसे कि यह साधर्म्य उदाहरण का …
ध्रुवस्कन्ध द्रव्यवर्गणाओं के ऊपर सांतर निरन्तर वर्गणा द्रव्य वर्गणा है। जो वर्गणा अन्तर के साथ निरन्तर जाती है, उसकी सांतर निरन्तर द्रव्य वर्गणा संज्ञा है।
जिस प्रकृति का काल क्षय से बन्ध व्युच्छेद संभव है, वह सांतरबन्धी प्रकृति है। अन्यगति का जहाँ बन्ध होता है वहाँ तो देवगति सप्रतिपक्षी है तो वहाँ किसी समय देवगति का बन्ध होता है और किसी समय अन्यगति का बन्ध …
एक मार्गणा को छोड़ने के पश्चात् पुनः उसी में लौटने के लिए कुछ काल का अन्तर पड़ता हो, तब वह मार्गणा सांतर कहलाती है। वे आठ हैं- अपर्याप्त मनुष्य, वैक्रियक मिश्रयोग, दोनों आहारक योग, सूक्ष्म – साम्पराय संयम, सासादन सम्यकमिथ्यात्व …