अशुभ वचन और अशुभ विचारों में वचन की और मन की तत्काल अविचार पूर्वक होना, इसको सहसातिचार कहना चहिए ।
(मन, वचन और शरीर के द्वारा दुष्ट प्रवृत्ति करना, निसर्गाधिकरण या सहजाधिकरण कहते हैं। साफ करने पर जीव है अथवा नहीं यह बिना देखे शरीर की असावधानता पूर्वक प्रवृत्ति करना, अप्रत्यवेक्षित निक्षेपाधिकरण या सहसा निक्षेपाधिकरण कहते हैं।) निक्षेप किया जाये …