वहाँ पर उत्कृष्ट स्थिति में रहने वाले बद्ध कर्म के निषेकों का जो समूह, वह सर्वस्थिति है। उत्कृष्ट स्थिति बन्ध होने पर जो प्रथम निषेक से लेकर अन्तिम निषेक तक निषेक रचना होती है, वह सर्वस्थिति विभक्ति है।
जो द्रव्य सबका सब सर्वात्मना स्पर्श करता है, यथा परमाणुद्रव्य, वह सब सर्वस्पर्श है।
सम्यग्दृष्टि जन और मिथ्यादृष्टि जन ये दोनों भी स्वभावगत माद्रव से युक्त होकर सम्पूर्ण प्राणियों के ऊपर दया करते हैं। इस दया का नाम सर्वानुकम्पा है। जिनके अवयव टूट गये हैं, जिनको जख्म भी हुई है, जो बाँधे हैं, जो …
वैमानिक देवों के पाँच अनुत्तर विमानों में से एक विमान का नाम सर्वार्थसिद्धि है। यहाँ रहने वाले सभी देव अहमिंद्र कहलाते हैं और एक भवावतारी होते हैं अर्थात् मरणोपरान्त एक मनुष्य भव पाकर मुक्त हो जाते हैं।