जो संसार के कारणों के त्याग के प्रति उत्सुक है परन्तु जिसके मन में राग के संस्कार नष्ट नहीं हुए, वह सराग कहलाता है। प्राणी और इन्द्रियों के विषय में अशुभ प्रवृत्ति के त्याग को संयम कहते हैं, सरागी जीव …
अशेष अवयवों को प्राप्त हो उसे सर्व कहते हैं। विश्व, कृत्स्न ये सर्व शब्द के समानार्थक हैं जो आकुंचन और विसप्रण आदि को प्राप्त हों वह पुद्गल द्रव्य सर्व है। सर्व का अर्थ केवलज्ञान है।