सम्पराय कषाय को कहते हैं ।
स्वभाव मात्र स्वस्वामित्वमयी सम्बन्ध शक्ति है ( अपना वह रूप है और स्वयं उसका स्वामी है ऐसी सम्बन्धमयी सम्बन्ध शक्ति है) ।
बहुत जनों के द्वारा माना गया जो नाम वह सम्मत सत्य है। जैसे लोक में राजा की स्त्री को देवी कहना |
स्वभाव मात्र स्वस्वामित्वमयी सम्बन्ध शक्ति है ( अपना वह रूप है और स्वयं उसका स्वामी है ऐसी सम्बन्धमयी सम्बन्ध शक्ति है) ।
बहुत जनों के द्वारा माना गया जो नाम वह सम्मत सत्य है। जैसे लोक में राजा की स्त्री को देवी कहना |
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