देखिए सल्लेखना ।
भिन्न प्रवृत्ति में जो निमित्त है ऐसी विभिन्न शब्दों की एक ही अर्थ में वृत्ति होना समानाधिकरण है। जैसे- ‘तत् त्वमसि’ इस पद में ‘तत्’ का अर्थ अशरीरी ब्रह्म और त्वम् का अर्थ शरीरी ब्रह्म या जीवात्मा ये दोनों एक …
भिन्न प्रवृत्ति में जो निमित्त है ऐसी विभिन्न शब्दों की एक ही अर्थ में वृत्ति होना समानाधिकरण है। जैसे- ‘तत् त्वमसि’ इस पद में ‘तत्’ का अर्थ अशरीरी ब्रह्म और त्वम् का अर्थ शरीरी ब्रह्म या जीवात्मा ये दोनों एक …
Arithematical Progression. समान्तरानीक: Parallelepiped.
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