समवदान शब्द में सम और अव उपसर्ग पूर्वक ‘दाप्लवने’ धातु हैं। जिसका व्युत्पाति अर्थ है जो यथा विधि विभाजित किया जाता है, वह समवदान कहलाता है और समवदान ही समवदानता कहलाती है। कार्मण पुद्गलों का मिथ्यात्व, असंयम, योग और कषाय …
Not a member yet? Register now
Are you a member? Login now