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सन्निक सन्निध सन्निप सन्निव
23 July

सन्निकर्ष 

  • Posted by kundkund
  • Comments 0 comment

जघन्य व उत्कृष्ट भेद रूप द्रव्य क्षेत्र, काल एवं भावों में से किसी एक को विवक्षित करके उसमें शेष पद क्या उत्कृष्ट हैं क्या अनुत्कृष्ट है क्या जघन्य है और क्या अजघन्य है इस प्रकार की जो परीक्षा की जाती …

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23 July

सन्निकर्ष प्रमाण 

  • Posted by kundkund
  • Comments 0 comment

यदि सन्निकर्ष को प्रमाण माना जाता है तो सूक्ष्म व्यवहित विप्रकृष्ट पदार्थों का ग्रहण न करने का प्रसंग प्राप्त हो, क्योंकि इनका इन्द्रियों से सम्बन्ध नहीं होता। इसलिए सर्वज्ञता का अभाव हो जाता है । सन्निकर्ष को प्रमाण और अर्थ …

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23 July

सन्निधिकरण 

  • Posted by kundkund
  • Comments 0 comment

सम्मुख या निकट होना सन्निधिकरण है। पूजा करते समय पूज्य पुरूष को अपने हृदय में बिठाना सन्निधिकरण कहलाता है।

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23 July

सन्निपातिक भाव 

  • Posted by kundkund
  • Comments 0 comment

सान्निपातिक नाम का एक स्वतन्त्र भाव नहीं हैं संयोग भंग की अपेक्षा उसका ग्रहण किया। जैसे औदायिक औपशमिक मनुष्य और उपशान्त क्रोध जीव भाव सान्निपातिक है। एक ही गुणस्थान या जीवसमास में जो बहुत से भाव आकर एकत्रित होते है, …

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23 July

सन्निपातिक भाव 

  • Posted by kundkund
  • Comments 0 comment

एक ही गुणस्थान या जीव समास में जो बहुत से भाव आकर एकत्रित होते हैं उन भावों को सन्निपातिक भाव कहते हैं सन्निपातिक नाम का कोई एक स्वतंत्र भाव नहीं है संयोगज भंग की अपेक्षा इसका ग्रहण किया गया है। …

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