अनुदय प्राप्त सर्वघाती स्पर्धकों की सत्ता रूप अवस्था को सदवस्था रूप उपशम कहते हैं क्योंकि इस अवस्था में उनकी अपनी शक्ति प्रकट नहीं हो सकती ।
एक वस्तु को विषय करने वाला सद्भूत व्यवहार नय रूप है । गुण और गुणी में भेद अवस्था करके कथन करने वाला सद्भूत व्यवहार नय है। सद्भूत व्यवहार नय दो प्रकार का है- उपचरित और अनुपचरित । शुद्ध गुण और …