अस्तित्व को सत्ता कहते हैं। वह सत्ता उत्पाद – व्यय, ध्रौव्यात्मक, सर्वपदार्थ स्थित, सविश्वरूप, अनंत पर्यायमय, अप्रतिपक्ष और एक है सत्ता के दो रूप हैं- महासत्ता व अवान्तरसत्ता। सर्वपदार्थ समूह में व्याप्त होने वाली सादृश्य अस्तित्व को सूचित करने वाली …
उत्पाद, व्यय, गौढ़ सत्ताग्राहक शुद्ध द्रव्यार्थिक नय नित्य या अनित्य स्वभावी हैं। उत्पाद व्यय को गौढ़ करके मुख्य रूप से जो केवल सत्ता को ग्रहण करता है, वह सत्ताग्राहक शुद्ध द्रव्यार्थिक नय कहा है। सत्ताग्राहक शुद्ध द्रव्यार्थिक नय के फल …
जो कोई भी किसी पदार्थ को देखता है, तब, जब तक वह देखने वाला विकल्प न करे, तब तक जो सत्ता मात्र ग्रहण है, उसको दर्शन कहते हैं। सामान्य विशेषात्मक पदार्थों के आकार विशेष को ग्रहण न करके जो केवल …