सत् का सामान्य लक्षण पदार्थों का स्वत: सिद्ध अस्तित्व है। जिसका निरन्वय नाश असंभव है। इसके अतिरिक्त किस गति जाति व काय का पर्याप्त या अपर्याप्त जीव किस-किस योग मार्गणा में अथवा कषाय सम्यक्त्व व गुणस्थानादि में पाना संभव हैं, …
सत् प्ररूपणा के अन्तर्गत सामान्य रूप से सम्यग्दर्शन आदि का सत्व मात्र नहीं कहा जाता है किन्तु गति, इन्द्रिय आदि चौदह मार्गणाओं में सम्यग्दर्शन आदि कहाँ है कहाँ नहीं है, यह सूचित करने के लिए सत् शब्द का प्रयोग किया …