संस्थानाक्षर दूसरा नामकर्म स्थापना अक्षर है। यह वह अक्षर है इस प्रकार अभेद रूप से बुद्धि जो स्थापना होती है या जो लिखा जाता है वह स्थापना अक्षर है। पुस्तकादि विषै निजदेश की प्रवृत्ति के अनुसार अकारादिकनिका आकार करि लिखिए …
जिस कर्म के उदय से अस्थियों का बन्धन विशेष होता है वह संहनन नामकर्म है संहनन नामकर्म छह प्रकार का है- वज्रवृषभनाराच, वज्र नाराच, नाराच अर्धनाराच, कीलक और असंम्प्राप्ता-सृपाटिका । जिस कर्म के उदय से वज्रमय हड्डियाँ वज्रमय वेष्ठन से …