संस्थान का अर्थ आकृति या आकार है जिस कर्म के उदय से जीव के औदारिक आदि शरीर की आकृति बनती है उसे संस्थान नामकर्म कहते हैं। जो शरीर संस्थान नामकर्म है, वह छह प्रकार का है- समचतुरस्र संस्थान, न्यग्रोध परिमंडल …
यदि संस्थान निर्माण नामकर्म न हो तो अंग, उपंग और प्रत्यंग संकर और व्यतिकर स्वरूप हो जावेंगे। अर्थात् नाक के स्थान पर आँख आदि भी बन जायेंगे अथवा मस्तक पर मुह लग जायेगा । किन्तु ऐसा है नहीं क्योंकि ऐसा …
तीनों लोक के आकार प्रकार, प्रमाण और आयु आदि का चिन्तवन करना संस्थान विचय नाम का चौथा धर्मध्यान है अथवा अधोलोक आदि रूप तीन प्रकार के लोक का तथा पृथिवी, वलय, द्वीप, सागर, नगर विमान, भवन आदि के संस्थानों (आकृति) …
संस्थानाक्षर दूसरा नामकर्म स्थापना अक्षर है। यह वह अक्षर है इस प्रकार अभेद रूप से बुद्धि जो स्थापना होती है या जो लिखा जाता है वह स्थापना अक्षर है। पुस्तकादि विषै निजदेश की प्रवृत्ति के अनुसार अकारादिकनिका आकार करि लिखिए …