तीन ऋतु का एक अयन होता है और दो अयन का एक संवत्सर (वर्ष) होता है।
जिस प्रकार नाव के छिद्र बंद रहने पर यात्री सकुशल अपने गंतव्य स्थान तक पहुँच जाते हैं, उसी प्रकार कर्मों के आने के द्वार को रोक देने पर जीव अपने मोक्ष रूपी लक्ष्य को प्राप्त कर लेते हैं, इस प्रकार …
साधु आहारादि के निमित्त ऐसा ममत्व भाव करे कि ये गृहस्थ लोग हमारे हैं, वह उसके लिए संवास नाम की अनुमति है।