आहार के समय यदि साधु को कुत्ता आदि काट ले तो यह संदंश नाम का अन्तराय है ।
संदिग्धा सिद्ध ऐसा है जैसे कि इस निकुंज में मोर कूकता है ऐसा कहना है क्योंकि वहाँ ऐसा संदेह है कि क्या यह स्वर मोर का है अथवा मनुष्य का है ? इसी प्रकार आश्रम में भी क्या इस कुंज …