स्याद्वादियों के मत में अस्तित्व और नास्तित्व एक जगह रहते हैं इसलिए अस्तित्व के अधिकरण में अस्तित्व और नास्तित्व के रहने से स्याद्वाद में संकर दोष आता है ऐसी शंका में संकर दोष का स्वरूप प्रकट होता है।
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