स्याद्वादियों के मत में अस्तित्व और नास्तित्व एक जगह रहते हैं इसलिए अस्तित्व के अधिकरण में अस्तित्व और नास्तित्व के रहने से स्याद्वाद में संकर दोष आता है ऐसी शंका में संकर दोष का स्वरूप प्रकट होता है।
केवलज्ञान से जान लिये हैं सकल पदार्थ जिन्होंने ऐसे शरीर सहित अरहन्त भगवान सकल परमात्मा हैं। कल अर्थात् शरीर के साथ जो वर्ते सो सकल कहलाता है और सकल भी और आत्मा भी हो वह सकलात्मा कहलाता है।