इसका वर्तमान नाम वैक्ट्रियाँ हैं।
अपनी शक्ति को न छिपाकर मोक्षमार्ग के अनुकूल कायक्लेश आदि तप करना शक्तितस्तप भावना है। यह शरीर दुख का कारण है अशुचि है भोगों से इसकी तृप्ति नहीं होती परन्तु शील व्रत आदि गुणों के संचय में यह आत्मा की …
शक्ति के भेद व लक्षण (समयसार / आत्मख्याति/ परिशिष्ट/47) शक्तियाँ-जीव द्रव्य में 47 शक्तियों का नाम निर्देश किया गया है, यथा-1. जीवत्व, 2. चितिशक्ति, 3. दृशिशक्ति, 4. ज्ञानशक्ति, 5. सुखशक्ति, 6. वीर्यशक्ति, 7. प्रभुत्व, 8. विभुत्व, 9. सर्वदर्शित्व, 10. सर्वज्ञत्व, …
अपनी शक्ति को न छिपाकर मोक्षमार्ग के अनुकूल कायक्लेश आदि तप करना शक्तितस्तप भावना है। यह शरीर दुख का कारण है अशुचि है भोगों से इसकी तृप्ति नहीं होती परन्तु शील व्रत आदि गुणों के संचय में यह आत्मा की …
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