जो खेती व्यापार और पशुपालन आदि के द्वारा जीविका करते थे, वे वैश्य कहलाते थे। भगवान ने अपने ऊरुओं से यात्रा दिखलाकर अर्थात् परदेश जाना सिखलाकर वैश्यों की रचना की। न्यायपूर्वक धन कमाने वाला भी वैश्य होता है ।
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