विहायस् का अर्थ आकाश है उसमें गति का निर्वर्तक कर्म विहायोगति-नामकर्म है अर्थात् जिस कर्म के उदय से भूमि का आश्रय लेकर या भूमि का आश्रय लिए बिना भी जीवों का आकाश में गमन होता है, वह विहायोगति नामकर्म है। …
उत्पन्न होने के ग्राम नगर या अरण्य आदि को छोड़कर अन्यत्र गमन निषीदन और परिभ्रमण आदि व्यापार से युक्त होकर रहने का नाम विहारवत स्वस्थान हैं ।