वक्त की इच्छा को विवक्षा कहते हैं अर्थात् नय अथवा सापेक्ष कथन की पद्धति को विवक्षा कहते हैं। प्रश्नकर्ता के प्रश्न से ही प्रतिपादन करने वाले की विवक्षा होती है।
साता वेदनीय और चारित्र मोहनीय कर्म के उदय से कन्या के वरण करने को विवाह कहते हैं। विवाह की इच्छा होने पर गुरू साक्षी में सिद्ध भगवान एवं तीन अग्नियों की (अर्हन्तकुण्ड, गणधरकुण्ड व केवलीकुण्ड में) स्थापना करके भगवान की …