प्रतिपक्ष के साधन से रहित जल्प का नाम वितंडा है। अर्थात् अपने किसी भी पक्ष की स्थापना किए बिना केवल परपक्ष का खण्डन करना । वास्तव में तत्त्व का विचार न करके खाली वकवास करने को वितंडा कहते हैं।
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