(मिथ्या विज्ञानवाद ) ज्ञान वादियों का मत तो ऐसा है कि एक मात्रज्ञा से ही इष्ट सिद्धि होती है। इससे अन्य जो कुछ है, सब शास्त्र का विस्तार मात्र है। इस कारण मुक्ति का बीजभूत विज्ञान ही है। (सम्यक् विज्ञानवाद) …
प्रतिभासमान अशेष ही वस्तुओं का ज्ञानस्वरूप से अंतःप्रविष्टपन प्रसिद्ध होने का कारण संवेदन ही परमार्थिक तत्त्व है। इस प्रकार जो-जो भी अवभासित होता है वह ज्ञान ही है, जैसे सुखादि भाव भी अवभासित होते हैं। इसी प्रकार जो जो भी …