इच्छित पदार्थ की प्राप्ति का नाम लाभ है। समस्त लाभान्तराय कर्म के क्षय से कवलाहार से रहित केवली भगवान के क्षायिक लाभ होता है जिससे उनके शरीर को बल प्रदान करने वाले असाधारण, परमशुभ और सूक्ष्म अनन्त परमाणु प्रति समय …
जिस कर्म के उदय से जीव किसी वस्तु को प्राप्त करने की इच्छा करता हुआ भी प्राप्त नहीं कर पाता उसे लाभान्तराय कर्म कहते हैं ।
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