23 Julyरहस्य Posted by kundkund Comments 0 commentरहस्य अन्तराय कर्म को कहते हैं अन्तराय कर्म पूर्णतः क्षय तीन घातिया कर्मों के क्षय का अविनाभावी है और संवेदन अन्तराय कर्म के नष्ट होने पर अघातिया कर्म भ्रष्ट बीज के समान निःशक्त हो जाते हैं। Read More
23 Julyरहोव्याख्यान Posted by kundkund Comments 0 commentस्त्री और पुरुष द्वारा एकान्त में किए गये आचरण विशेष का प्रकट कर देना रहोव्याख्यान है। Read More