असंख्यात लोकमात्र योगाविभाग प्रतिच्छेदों की एक वर्गणा होती है, ऐसा कहने पर योगाविभाग प्रतिच्छेदों की अपेक्षा समान धन वाले सव जीव प्रदेशों के योगाविभाग प्रतिच्छेद असंभव होने से असंख्यात लोकमात्र अविभाग प्रतिच्छेदों के बराबर एक वर्गणा होती है। ऐसा ग्रहण …
योगसार-प्राभृत – अमितगति-आचार्य 540 गाथा nikkyjain@gmail.com Date : 17-Nov-2022 Index अधिकार मंगलाचरण जीव अधिकार अजीव अधिकार बन्ध अधिकार संवर अधिकार निर्जरा अधिकार मोक्ष अधिकार चारित्र अधिकार चूलिका अधिकार Index गाथा / सूत्र विषय मंगलाचरण 001) जीव अधिकार – ग्रंथकार का …
जिसमें क्रमवृद्धि और क्रमहानि होती है वह स्पर्धक कहलाता है। यहाँ क्रम का अर्थ अपने-अपने जघन्य वर्ग के अविभागी प्रतिच्छेद की वृद्धि और उत्कृष्ट वर्ग के अविभाग प्रतिच्छेदों से एक-एक अविभाग प्रतिच्छेद की जो हानि होती है, उसे क्रम कहते …