जो उपशम या क्षपक श्रेणी में विराजमान हैं उन्हें यति कहा जाता है अथवा जो इन्द्रिय-जय के द्वारा अपने शुद्धात्म स्वरूप में प्रयत्नशील होते हैं उन्हें यति कहते हैं अथवा चारित्र में जो प्रयत्न करे वह यति कहलाता है।
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