ये तीर्थंकर ऋषभदेव और रानी यशस्वती की पुत्री थीं। ये शील और विनय से युक्त थीं। इन्होंने अपने पिता से सर्वप्रथम लिपि – विद्या सीखी। प्राचीन ब्राह्मी लिपि इन्हीं के नाम से प्रसिद्ध है। युवा अवस्था में ही भगवान ऋषभदेव …
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