प्रथम दिन दोपहर का एकासन विवक्षित दो दिनों में उपवास और अगले दिन दोपहर को एकासन करें ।
बोध-पाहुड + ग्रन्थ करने की मंगलपूर्वक प्रतिज्ञा – बहुसत्थअत्थजाणे संजमसम्मत्तसुद्धतवयरणे वंदित्त आयरिए कसायमलवज्जिदे सुद्धे ॥1॥ सयलजणबोहणत्थं जिणमग्गे जिणवरेहिं जह भणियं वोच्छामि समासेण छक्कायसुहंकरं सुणहं ॥2॥ बहुशास्त्रार्थज्ञापकान् संयमसम्यक्त्वशुद्धतपश्चरणान् । वन्दित्वा आचार्यान् कषायमलवर्जितान् शुद्धान् ॥१॥ सकलजनबोधनार्थं जिनमार्गे जिनवरै: यथा भणितम् । वक्ष्यामि …
रत्नत्रय-प्राप्ति की दुर्लभता का चिंतन । यह बारह भावनाओं में ग्यारहवीं भावना है । इसमें मनुष्य भव, आर्यखंड में जन्म, उत्तम कुल, दीर्घायु की उपलब्धि, इंद्रियों की पूर्णता, निर्मल वृद्धि, देव, शास्त्र-गुरु का समागम, दर्शन विशुद्धि, निर्मलज्ञान, चारित्र, तप और …