ये भगवान ऋषभदेव के पुत्र और भरत चक्रवर्ती के छोटे भाई थे। इनकी माँ का नाम सुनंदा था। ऋषभदेव के वैराग्य के उपरांत इन्हें पोदनपुर का युवराज पद मिला । अपने ही भाई भरत-चक्रवर्ती से युद्ध में जीतकर संसार से …
जो व्रती का उपकार करता है उसे उपकरण कहते हैं। यह भी दो प्रकार का हैनेत्र इन्द्रिय में कृष्ण व शुक्ल मण्डल अभ्यन्तर उपकरण हैं और पलक तथा दोनों बरौनी आदि बाह्य उपकरण है।
आत्मा से सम्बद्ध शरीर निर्मित चक्षु आदि इन्द्रियाँ आत्मभूत बाह्य हेतु है और प्रदीप आदि अनात्मभूत बाह्य हेतु है।