यथार्थ प्रतिपत्ति का अभाव होने से मिथ्यादृष्टि आदि को अज्ञानी अथवा बाल कहते हैं।
अंतरात्मा के मलिन होने से मूर्ख लोग जो लोक रंजायमान करने के लिए क्रिया करते हैं उसे बाल या लोकपंक्ति क्रिया कहते हैं।
अंतरात्मा के मलिन होने से मूर्ख लोग जो लोक रंजायमान करने के लिए क्रिया करते हैं उसे बाल या लोकपंक्ति क्रिया कहते हैं।
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