जिसके प्रभाव से मुनि को मन, वचन और काय की विशेष सामर्थ्य प्राप्त होती है उसे बल ऋद्धि कहते हैं यह तीन प्रकार की है- मनोबल ऋद्धि, वचन – बल – ऋद्धि और काय – बल – ऋद्धि ।
यक्ष, नाग आदि देवों के लिए चढ़ाई गई बलि अर्थात् पूजन सामग्री में से शेष बची हुई सामग्री साधु को आहार में देना बलिशेष नामक दोष है।