जिन सत्कर्म स्थानों की उत्पत्ति बंध से होती है। उन्हें बंध समुत्पत्तिक कहते हैं। बंधने वाले स्थानों को ही बंध समुत्पत्तिक स्थान नहीं कहते हैं। किन्तु पूर्वबद्ध अनुभाग स्थानों में भी रसघात होने से परिवर्तन होकर समानता रहती हैं, तो …
पाँच प्रकार का औदारिक शरीर बंध स्पर्श, इसी प्रकार वैक्रियक, आहारक, तैजस और कार्मण शरीर बंध स्पर्श, वह सब बंध स्पर्श है। जो बाँधता हैं वह बंध कहलाता है । औदारिक शरीर बंध है, उस बंध का स्पर्श औदारिक शरीर …