जो निर्ग्रन्थ होते हैं, व्रतों का अखण्ड रूप से पालन करते हैं लेकिन शरीर और उपकरणों की शोभा बढ़ाने में लगे रहते हैं परिवार से घिरे रहते हैं, और यश की कामना रखते हैं, विविध प्रकार के मोह से युक्त …
जिन सत्कर्म स्थानों की उत्पत्ति बंध से होती है। उन्हें बंध समुत्पत्तिक कहते हैं। बंधने वाले स्थानों को ही बंध समुत्पत्तिक स्थान नहीं कहते हैं। किन्तु पूर्वबद्ध अनुभाग स्थानों में भी रसघात होने से परिवर्तन होकर समानता रहती हैं, तो …