साधर्मी भाई को प्रेमवश बार-बार उपदेश देकर सन्मार्ग पर स्थित रखने का भाव होना प्रेमानुराग कहलाता है।
प्रेरक निमित्त क्रियावान द्रव्य ही हो सकता है। प्रेरक निमित्त की क्रिया में हेतु करता कहाँ जा सकता है पर उदासीन निमित्त को नहीं ।
स्वीकृत मर्यादा के बाहर स्वयं न जाकर और दूसरे को न बुलाकर भी नौकर के द्वारा व्यापार आदि कार्य करा लेना प्रेष्य – प्रयोग नाम का देशव्रत का अतिचार है।
1. प्रोषध का अर्थ पर्व है । पर्व के दिन में जो उपवास किया जाता है उसे प्रोषधोपवास कहते हैं चतुद्रशी और अष्टमी के दिन चारों प्रकार के आहार का त्याग करना प्रोषधोपवास कहलाता है। उपवास के दिन श्रावक पाँच …
जो महीने के चारों ही पर्वो में अर्थात् दो अष्टमी और दो चतुद्रशी के दिनों में अपनी शक्ति को न छिपाकर शुभध्यान में तत्पर होता हुआ प्रोषधपूर्वक उपवास करता है वह प्रोषधोपवास प्रतिमा का धारी है।