संशय दूर करने के लिए या निर्णय की पुष्टि के लिए ग्रंथ या ग्रंथ के अर्थ के विषय में दूसरे से पूछना या प्रश्न करना पृच्छना नाम का स्वाध्याय है।
द्रव्य गुण और पर्याय के विधि निषेध विषयक प्रश्न का नाम पृच्छा है। उसके क्रम और अक्रम का तथा प्रायश्चित का जिसमें विधान किया जाता है, वह पृच्छाविधि श्रुत है ।
द्रव्य गुण और पर्याय के मिलने को पृथकत्व कहते हैं । निजशुद्धात्मा के अनुभव रूप भावश्रुत को और निजशुद्धात्मा को कहने वाले अन्तर्जल्प रूप वचन को वितर्क कहते हैं इच्छा के बिना ही एक अर्थ से दूसरे अर्थ में एक …