जो पदों से स्फुर अर्थात् व्यक्त है, इसलिए वह पाहुड़ कहलाता है। जो प्रकृष्ट अर्थात् तीर्थंकर के द्वारा आवर्त अर्थात् प्रस्थापित किया गया है, वह प्राभृत है। अथवा जिनके विद्या ही धन है, ऐसे प्रकृष्ट आचार्यों के द्वारा जो धारण …
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