प्रत्येक शताब्दी में चार पाद होते हैं। प्रत्येक पाद 25 वर्ष का माना जाता है।
वर्षाकाल में चार मास एक ही स्थान में रहना अर्थात् भ्रमण का त्याग करना यह पाद्य नाम का दसवां स्थिति कल्प है। यह उत्सर्ग नियम है कारणवश इससे अधिक या कम दिवस भी एक स्थान में रह सकते हैं। मारी …