आत्मा को यह सुख-दुःख स्वयं भोगने नहीं होते, अपितु काल, स्वभाव, नियति, यदृच्छा, पृथ्वी आदि चार भूत, योनिस्थान, पुरुष व चित्त इन नौ बातों के संयोग से होता है, क्योंकि आत्मा दुःख-सुख भोगने में स्वतंत्र नहीं है। आत्मद्रव्य अस्वभावनय से …
परत्व और अपरत्व क्षेत्रकृत, गुणकृत और कालकृत ऐसे तीन प्रकार का है। जैसे दूरवर्ती पदार्थ पर और समीपवर्ती पदार्थ अपर कहा जाता है, यह क्षेत्रकृत परत्व और अपरत्व है। अहिंसा आदि प्रशस्त गुणों के कारण धर्म पर और अधर्म अपर …