जो राग से परद्रव्य में शुभ या अशुभ भाव करता है वह जीव स्वचारित्र भ्रष्ट ऐसा परचारित्र का आचरण वित होते हैं, उस भाव द्वारा वह जीव परचारित्र है। जो व्यक्ति शुद्धात्म द्रव्य से परिभ्रष्ट होकर रागभाव रूप से परिणमन …
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