सूत्र और वृत्ति इन दोनों का जो विवरण है उसको पद्धति कहते हैं आगम और अध्यात्म की पद्धति, उत्सर्ग और अपवाद व्याख्यान की पद्धति और चारों अनुयोगों की पद्धति को जानना चाहिये। जिसमें अभेद रत्नत्रय के प्रतिपादक अर्थ और पदार्थों …
जो त्यागी हो, भद्र हो, उत्तम कार्य करने वाला हो, क्षमावान् हो, साधुओं की पूजा-अर्चना और सेवा में तत्पर हो वह जीव पद्मलेश्या वाला है । ये सब पद्मलेश्या के लक्षण हैं।