जिसका जिसमें अवस्थान है वह उसका पद अर्थात् स्थान कहलाता है विभिन्न अपेक्षाओं से पद के अर्थ गच्छ अर्थात् Number of Terms. सिद्ध पद आदि की अपेक्षा न्यायविनिश्चय/टीका/१/७/१४०/१९पद्यन्ते ज्ञायन्तेऽनेनेति पदं।= जिसके द्वारा जाना जाता है वह पद है। धवला.१०/४,२,४,१/१८/६जस्स जम्हि अवट्ठाणं …
तीन काल में जिस देश में, जिस परिणाम से जो दोष हो गया है, उस दोष की मैं आलोचना करता हूँ, ऐसा कहकर जो दोष क्रम से आचार्य के आगे क्षपक कहता है, उसकी वह पदविभाग आलोचना है ।
औधिक समाचार के इच्छाकार आदि दस भेद हैं। जिस समय सूर्य उदय होता है, वहाँ से लेकर समस्त दिन-रात की परिपाटी में मुनि लोग नियमादि को निरन्तर आचारण करें सो यह प्रत्यक्षरूप पद विभागी समाचार कहा है ।